यह एक स्वयं सिद्धि है उस तरह की कि आदमी बुद्धि-धारी जानवर है, और अस्त्र जोड़ देने से वह स्वयं सिद्धि न तीव्र हो जाती है न प्रभावपूर्ण।
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यह एक स्वयं सिद्धि है उस तरह की कि आदमी बुद्धि-धारी जानवर है, और अस्त्र जोड़ देने से वह स्वयं सिद्धि न तीव्र हो जाती है न प्रभावपूर्ण।
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पतंजलि ने अपने योगसूत्र मे प्राणायाम द्वारा स्वयं सिद्धि का मार्ग बताया है जिसमे मनुष्य अपनी श्वास पर (नाक द्वारा) स्वयं को केंद्रित कर ध्यान और समाधि की अवस्था प्राप्त करता है.